समाज का दपर्ण
चारों और विज्ञान का शोर है
भाई भाई के बीच पैसा कमाने की होड़ है।
चिल्ला रहा अपराधी, बेकसूर मौन हैं
यह कैसा दौर है?
मिट्टी की कीमत नहीं, कीमत नहीं जज्बात की
एक छोटा सा कमरा दादा दादी का
करता कोई बात नहीं
घर में रहने वाले उन्हें छोड़कर चार लोग और है
पर नौकरानी के अलावा "क्या आपने खाना खाया? " ऐसा पूछता कौन है!
हाय रे ये कैसा दौर है ?
रिश्त नातों की कदर नहीं
मुश्किल वक्त में कोई किसी का ब्रदर नहीं।
आस्था के नाम पर ठगने वाले बाबा
बैठे बहोत है
दूधमूही बच्चियों के साथ हो रहा संभोग है
हाए! ये कैसा दौर है ?
भाई-भाई को मार डालता है,
बेटा - पिता को खुद काटता है
नशे में लिप्त भाई बहन की इज्जत उछालता है
मानव मानव को दे रहा
हृदय पर अंदरुनी चोट है,
हाय रे यह कैसा दौर है?
राजनीती का बोल-बाला है,
देखो बच्चो ने फिर काम कल प टाला है।
भूल चुके है लोग ताला दरवाजों पर लगता है
यहाँ देखो या वहाँ देखो हर किसी का मुंह लटका है। जिसे देखो वह लड़ने को तैयार है हर कोई कहता है "आज या तो आर या पार है"
माता पिता बच्चों से दूर बहोत है,
क्योंकि हर किसी के मने मे मनि-मनि ही शोर है
हाय रे । ये कैसा दौर है ?
चापलूसी करने वाले आगे है मन से काम करने वाले नीव की ईट की तरह दफना दिए जाते है.
न जाने कितने ऐसे लोग है ज़े कम मेहनत से पा लिए बहोते है और अनगिनत है ऐसे जिनका नाम का बिना कुछ करे शोर है। हाय रे ! ये कैसा दौर है?
घर मे कोई संतुष्ट नहीं,
तीन साल के बच्चे भी हष्ट पुष्ट नही
देखता कोई चार बजे की भोर नही
बच्चे एक दूसरे के प्रति भाव विभोर नही।
निकल पड़े है सब उड़ान को
जानते हुए
कि नही कोई आसमान है का छोर है
हाय रे ! ये कैसा दौर है ?
पड़ोसी के घर में आग लगी शर्मा जी लेकर चलने लगे छड़ी
वर्मा जी की बेटी हो गई ब्याह लायक बड़ी, बाजू नवाले बंसल जी मे चढवाया डौर है।
किसे अब यह जानने का होश है?
हाय रे । ये कैसा दौर है ?
"यह कैसा दौर"
यह एक अनंत सवाल है
कल कोई और पूछता था
आज मैने पूछा है
ना जाने आपने इसका जवाब क्या और कैसे खोजा है!
पर एक बात तो तय है और वह यह है कि समय बढ़ता जाएगा नया दौर आएगा, और फिर एक दिन आप पूछते नजर आएंगे
अरे!
यह कौन है?"
क्योकि और एक उभरता कवि पूछ रहा होगा
कैसा दौर है?
कैसा दौर है
कैसा दौर है??
-दीक्षा काजला
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समाज का दर्पण
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